हेलो दोस्तों आज हमने आपके लिए Hindi Poems on life यानी की जीवन पर हिंदी कविता लिखे हैं जीने आप हमारी साइट पर आकर पढ़ सकते हैं
स्वागत है आप सभी का हमारी वेबसाइट साइट shayarireaders.in में और आज इसके अन्दर हम आपको बताने वाले हैं सबसे बढ़िया हिंदी कविता जीवन पर मे जो कि बहुत ही ज़्यादा मज़ेदार होगे क्योकि इनकी लेंथ बहुत ज़्यादा बड़ी होने वाली आप सभी का दिल से दोबारा स्वागत करते हैं।
Table of Contents
जीवन के लिए अर्थ महत्वपूर्ण क्यों है?
क्योंकि अर्थ में निवेश की गई ऊर्जा आपको अपने गहरे उद्देश्य से जुड़ने की अनुमति देती है। जितना अधिक आप सार्थक जीवन के साथ जुड़ते हैं, न केवल समय के साथ बढ़ता है, यह आपको एक खुशहाल, पूर्ण जीवन भी प्रदान करता है। यह आनंददायक जीवन की तुलना में बहुत अलग है जो क्षणिक, वर्तमान और भ्रमपूर्ण है।
उपभोक्तावाद की हमारी संस्कृति को देखते हुए, हम नियमित रूप से ब्रेन वॉश और सार्थक जीवन के बजाय एक हेदोनिस्टिक जीवन की खेती के “प्रचार” का लक्ष्य बनते हैं।
ऐसा इसलिए है क्योंकि एक सार्थक जीवन के लिए हमारे कार्यों की योजना, स्वामित्व और हमारे विकल्पों के परिणामों की जिम्मेदारी की आवश्यकता होती है। नतीजतन, एक सार्थक जीवन की मांग हो सकती है और अक्सर तनावपूर्ण होता है।
यह एक सुखमय जीवन के रूप में समायोजित नहीं है। उद्देश्यपूर्ण जीवन के लिए हमें धैर्य रखने, अपनी संतुष्टि में देरी करने और दीर्घकालिक सोचने की आवश्यकता होती है, जो हमारे दूसरे (अधिग्रहित) स्वभाव के खिलाफ है, लेकिन हमारे वास्तविक स्वभाव का एक बड़ा हिस्सा है।
साथ ही, एक सार्थक जीवन लोगों को उद्देश्य और मूल्य की एक बड़ी भावना से जोड़ता है, जिससे न केवल हमारे व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास में, बल्कि समाज और मानव सभ्यता के लिए भी सकारात्मक योगदान होता है। नतीजतन, एक सार्थक जीवन वह है जो रचनात्मक कार्यों का मार्गदर्शन करता है, रचनात्मक दिशा की भावना देता है।
यदि आप यह जानने में सक्षम हैं कि आप कहाँ हैं, आप कहाँ होना चाहते हैं, और आपको वहाँ पहुँचने के लिए क्या करने की आवश्यकता है, तो आप एक पूर्ण जीवन पाने की सबसे अच्छी स्थिति में हैं। उद्देश्य से भरा जीवन।
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चलो शुरू करते हैं
Hindi Poems on life
पानी के बिना नढी बेकार है,
अतिथि के बिना आंगन बेकार है,
प्रेम ना हो तो सगे-संबंधी बेकार है,
पैसा न हो तो पॉकेठ बेकार है
और जीवन में गुरू न हो तो जीवन बेकार है|
इसलिए जीवन में गुरू जरूरी है, गुरूर
नहीं
प्यार किसी को करना, लेकिन
कहकर उसे बताना क्या
अपने को अर्पण कहना पर
औरों को अपनाना क्या…
Hindi poems on life inspiration
काश, जिदँगी सचमुच किताब होती
पढ़ सकता मैं कि आगे क्या होगा?
क्या पाऊँगा मैं और क्या दिल खोयेगा?
कब थोड़ी खुशी मिलेगी, कब दिल रोयेगा?
काश जिदँगी सचमुच किताब होती,
फाड़ सकता मैं उन लम्हों को
जिन्होंने मुझे रुलाया है..
जोड़ता कुछ पन्ने जिनकी ._
यादों ने मुझे हँसाया है…
हिसाब तो लगा पाता कितना
खोया और कितना पाया है?
काश जिदँगी सचमुच किताब होती,
वक्त से आँखें चुराकर पीछे चला जाता…
टूटे सपनों को फिर से अरमानों से सजाता
कुछ पल के लिये मैं भी मुस्क्राता,
काश, जिदँगी सचमुच किताब होती।
दो पल की जिंदगी है
आज बचपन कल जवानी
परसों बुढ़ापा, फिर खत्म कहानी है
चलो हंस कर जिए, चलो खुलकर जिए
फिर ना आने वाली यह रात सुहानी
फिर ना आने वाला यह दिन सुहाना
कल जो बीत गया सो बीत गया
क्यों करते हो आने वाले कल की चिंता
आज और अभी जिओ, दुसरा पल हो ना हो
आओ जिंदगी को गाते चले,
कुछ बातें मन की करते चले
रुठो को मनाते चलें
आओ जीवन की कहानी प्यार से लिखते चले
कुछ बोल मीठे बोलते चले
कुछ रिश्ते नए बनाते चले
क्या लाए थे क्या ले जायेंगे
आओ कुछ लुटाते चले
हे आओ सब के साथ चलते चले
ढ्वी जिंदगी का सफर यूं ही काटते चले
दर्द अपनाता है पराए कौन;
कौन सुनता है और सुनाए कौन;
कौन दोहराए वो पुरानी बात;
ग़म अभी सोया है जगाए कौन;
वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं;
कौन दुख झेले आज़माए कौन;
अब सुक़ूँ है तो भूलने में है;
लेकिन उस शख़्स को भुलाए कौन;
आज फिर दिल है कुछ उदास उदास;
देखिये आज याद आए कौन।
बिन सफ़र, बिन मंज़िलों का
‘एक रास्ता होना चाहता हूँ।
कहीं दूर किसी जंगल में,
ठहरा दरिया होना चाहता हूँ।
एक ज़िन्दगी होना चाहता हूँ,
बिना रिश्तों और रिवाजों की।
दूर आसमान से गिरते,
झरने में कहीं खोना चाहता हूँ।
मैं आज ‘मैं’ होना चाहता हूँ।
सुकून-ए-जिंदगी
रूई का गद्दा बेच कर.. मैंने इक दरी खरीद ली,
ख्वाहिद्यों को कुछ कम किया मैंने और खुद्यी खरीद ली..
सबने खरीदा सोना.. मैने इक सुई खरीद ली,
सपनो को बुनने जितनी डोटी खरीद ली..
मेरी एक खवाहिह्य मुझसे मेरे दोस्त ने खरीद ली,
फ़िर उसकी हंसी से मैंने अपनी कुछ और खुद्यी खरीद ली.
इस जमाने से सौदा कर… एक जिन्दगी खरीद ली,
दिनों को बेचा और शामे खरीद ली..
जौक-ए-जिन्दगी कमतर से और कुछ कमर किये,
फ़िर सस्ते में ही सुकूलन-ए-जिंदगी खट्दीढ ली!
इस लंबी ख़ामोशी में
मोहब्बत भी
जमने लगी है
बर्फ़ सी
ज़रूरी-सा
हो गया है अब
शोर मचाती
शब्दों की धूप
अर्थ जब खोने लगे
अर्थ जब खोने लगे
शब्द भी रोने लगे |
जब वो आदमकद हुए सब
उन्हें बौने लगे |
जख्म न देखे गये जब
आंसू से होने लगे |
एक जबजा था अभी तक
आप तो छूने लगे ।
कब तलक ये ख्वाब देखूँ
वो मेरे होने लगे ।
कब कहानी मोड़ ले ले
आप तो सोने लगे |
— अनूप भार्गव
बस एक कठम और इस ब्यार किनारा होगा
बस एक नजर और इस बार इशारा हागा |
अम्बर के नीच उस बढली के पीछे काह तो किरण होगी
इस अन्धकार से लड्न का काइ ता किरण होगी |
बस एक पहर और इस बार उजाला होगा
बस एक कदम और इस बार किनारा हागा |
जो लक्ष्य का भंद बा कही ता तीर होगा
इस तपती भूमि में कहीं तो नीर होगा |
बस एक प्रयास और अब लक्ष्य हमारा हागा
बस एक कदम और इस बार किनारा हागा |
जा मंज़िल तक पहुंच वा काइ ता राह होगी
अपने मन का टटालो कोड ता चाह हागी |
जो मंजिल तक पहुंच वा कदम हमारा हागा
बस एक कदम और इस बार किनारा होगा |
बस एक नजर और इस बार इशारा हागा …
एक समय वह था
जब खाना भी मम्मी अपने हाथों से खिलाती थी
एक समय यह है
जब खाना भी नसीब नहीं होता
पकड़ कर हाथ,
सगे से दगा मत करना…
बशर्ते किसी गैंर को,
सगा मत करना…
Hindi poems on life by famous poets
“वीर ” – रामधारी सिंघ “दिनकर”
सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नही विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विष्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं मुँह से न
कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शूलों का मूल नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
गुण बड़े एक से एक प्रखर,
है छिपे मानवों के भीतर,
मेंहदी में जैसे लाली हो,
जीवन का रहस्य
जीवन भी कितना अनोखा है
हर राह में जिसकी एक धोखा है
कभी गमों की बाौँछारें है
तो कभी खुशियों का एक झोंका है।
हर शाम भरी रंगों से
भला किसने यहाँ पाई है
बस कागज़ के चंद टुकड़ों पर
जिंदगी यहाँ बिताई है।
उल्फत बदल गई
कभी नियत बदल गई
खुद कर जब हुए तो
फिर सीरत बदल गई
अपना कसूर दूसरों
के सर पर डालकर
कुछ लोग सोचते हैं
हकीकत बदल गई
जीवन के रंग कविताओं के संग
पत्नी का सहयोग
पत्नी है जीवन संगिनी
पत्नी है जीवन तरंगिनी
पत्नी बिना जीवन अपूर्ण है
पत्नी का साथ अटूट है
पत्नी है अर्धांगिनी
पत्नी है जीवन संचारणी
पत्नी सहयोग बिना पुरूष है संतान विहीन
पत्नी सहयोग बिना पुरूष है पूर्ण अस्तित्व विहीन
पत्नी है अनन्य मित्र
पत्नी दर्शाती है जीवन चित्र
पत्नी बिना पूर्ण नहीं होती जीवन आशा
पत्नी बिना पूर्ण नहीं होती हर अभिलाषा
पत्नी है शान्ती दायनी
पत्नी है भोजन दायनी
पत्नी बिना पूर्ण नहीं होते दैनिक कार्य
पत्नी बिना भूखे रह जाते स्वयं व बाल गोपाल
पत्नी है मार्ग दर्शिता
पत्नी है सतत् दूष्ट
पत्नी सहयोग है परिवार की पूर्णता
पत्नी सहयोग है जीवन में अनन्त शक्ति
वक्त
कभी एस भी था मंज़र याये की दरिया में कूद जाते थे बेफिक्र,
अब तो एक बूंद से भ्री डर लगता है काफ़िर|
ज़िल्ज़िले तक की परवाह नहीं की कभ्री
आब एक ठोकर से डर लगता है काफ़िर|
टकया जाते थे कभी हमर गहरे तूफानों से
अब एक जोहके से भी गशभ्नयते है काफ़िर|
को थी उम्र के पथारून तक को चबा गए बिना डकार के
आब एक निवाले के लिए भी स्रोचना पढता है काफ़िर|
न समझो की किस्सा सुना रहा हूँ सिर्फदिल बहलाने का
देखो शीशे में एक बार और, तो तुम भरी मुज से ही दिखोगे काफ़िर |
जो है वो है अब, आज है सबकुछ, तुम्ही कर सकते हो मुमकिन इसको
निया अगर क़द्र आज का, उम्र बीत जाएगी तो फिर पछताओ गे काफ़िर |
खुद में रह कर वक़्त बिताओ तो अच्छा है,
खुद का परिचय खुद से कराओ तो अच्छा है.
इस; कया की भीड़ में चलने से तो बेहतर,
खुद के साथ में घूमने जाओ तो अच्छा है.
अपने घर के रोशन दीपक देख लिए अब,
खुद के अन्दर दीप जलाओ तो अच्छा है….
तेरी ,मेरी इसकी उसकी छोडो भी अब,
खुद से खुद की शक्ल मिलाओ तो अच्छा है.
बदन को महकाने में सारी उम्र काट ली,
रूह को अब अपनी महकाओ तो अच्छा है
दुनिया भर में घूम लिए हो जी भर के अब,
वापस खुद में लौट के आओ तो अच्छा है….
तन्हाई में खामोशी के साथ बैठ कर,
ख़ुद को खुद की ग़ज़ल सुनाओ तो अच्छा
है
खुद में रह कर वक़्त बिताओ तो अच्छा है,
खुद का परिचय खुद से कराओ तो अच्छा है.
इस; कया की भीड़ में चलने से तो बेहतर,
खुद के साथ में घूमने जाओ तो अच्छा है.
अपने घर के रोशन दीपक देख लिए अब,
खुद के अन्दर दीप जलाओ तो अच्छा है…..
तेरी ,मेरी इसकी उसकी छोडो भी अब,
खुद से खुद की शक्ल मिलाओ तो अच्छा है.
बदन को महकाने में सारी उम्र काट ली,
रूह को अब अपनी महकाओ तो अच्छा है.
दुनिया भर में घूम लिए हो जी भर के अब,
वापस खुद में लौट के आओ तो अच्छा है….
तन्हाई में खामोशी के साथ बैठ कर,
ख़ुद को खुद की ग़ज़ल सुनाओ तो अच्छा
है….
नजरिया
मशीनी है दुनिया, तनाव बढ़ा है
मानव का मानव से टकराव बढ़ा है,
सूखा है करुणा का लरहराता सागर
इसीलिए खुशियों का यहाँ भाव बड़ा है १
अच्छाई यहीं है, बुराई यहीं है……
Hindi Poems on life
पूछा जो मैंने एक दिन खुदा से,
अंदर मेरे ये कैसा शोर है,
हंसा मुझ परफिर बोला,
चाहतें तेरी कुछ और थी,
पर तेरा रास्ता कुछ और है,
रूह को संभालना था तुझे,
पर सूरत सँवारने पर तेरा जोर है,
खुला आसमान, चांद, तारे चाहत है तेरी,
पर बन्द दीवारों को सजाने पर तेरा जोर है,
सपने देखता है खुली फिजाओं के,
पर बड़े शहरों में बसने की कोशिश पुरजोर है..
वजूद तेरा जो मिटाने चला कोई,
वह खाक में मिल जाएगा..
शोला है तू आग है वो,
जो उन सब को राख कर जाएगा..
जो चाही है मंजिल तूने,
उस तक लड़कर ही जा पाएगा..
मुसीबत लाख आए पथ पर,
उन सबको मात दे जाएगा…
वजूद तेरा जो मिटाने चला कोई,
वह खाक में मिल जाएगा..
शोला है तू आग है वो,
जो उन सब को राख कर जाएगा..
क्यों सोचता है अकेला है तू,
वहां तक ना दा दँच पाएगा…
जब जला तेरे साथ,
तोतू कहां रह जाएगा
ना हमसफ़र ना किसी हमशीन से निकलेगा
, हमरे पाव का कांता हम से निकलेगा
, और इली गली माई वो भुखा नकली है रेता था
तजिया कीजना खज़ाना याही से निकलेगा
Hindi poems on life values
[1]
जीवन के रंग कविताओं के संग
जीवन की उमंग
खुशी और उत्साह है जीवन की उमंग
खुशी और स्वास्थ्य है जीवन की उमंग
प्रसन्न चित्त है जीवन की उमंग
सबके प्रति सदभावना है जीवन की उमंग
काम करने की लगन है जीवन की उमंग
उन्नति करने की अभिलाषा है जीवन की उमंग
निरन्तर प्रगति पथ पर चलते रहना है जीवन की उमंग
दूसरों को हँसते हँसाना है जीवन की उमंग
निरन्तर दूसरों के दुख दूर करना है जीवन की उमंग
लगातार दूसरों की मदद करना है जीवन की उमंग
स्वयं स्वस्थ रहना है जीवन की उमंग
दूसरों को प्रेरित करना है जीवन की उमंग
उमंग का बीज बराबर जगाना है जीवन की उमंग
खुशी, स्वास्थ्य एवं उत्साह बढ़ाना है जीवन की उमंग
ऐ जीवन के मुसाफिर तू उमंग के बीज को सदा जगाता रहे।
सबके मन में खुशी जगाता रहे।
सबके मन में उत्साह बढ़ाता रहे।
सब को स्वस्थ और प्रसन्नचित्त बनाता रहे
सबके प्रति सदभावना व मंगल बढ़ाता रहे
तभी मिलेगी तुझे जीवन की सच्ची तरंग
तभी प्राप्त होगी जन-जन को जीवन की उमंग।।
[2]
ना हमसफ़र ना किसी हमशीन से निकलेगा
, हमरे पाव का कांता हम से निकलेगा
, और इली गली माई वो भुखा नकली है रेता था
तजिया कीजना खज़ाना याही से निकलेगा
[3]
ज़मीन पे चल न सका,
आसमान से भी गया.
कटा के पर वो परिंदा,
उड़ान से भी गया…
तबाह कर गई उसे पक्के
मकान की ख्वाहिश,
वो अपने गाँव के कच्चे
मकान से भी गया…
पराई आग में कूदा
तो क्या मिला उसे,
उसे बचा भी न सका
और अपनी जान से भी
गया!!!
[4]
जीवन सौन्दर्य से भरपूर है।
इसे देखें, महसूस करें, इसे पूरी तरह से
जीएं, और अपने सपनों की पूर्ति के लिए
पूरी कोशिश करें।
[5]
मैं रहूँ या न रहूँ, मेरा पता रह जाएगा
शाख़ पर यदि एक भी पत्ता हरा रह जाएगा
बो रहा हूँ बीज कुछ संवेदनाओं के यहाँ
ख़ुश्बुओं का इक अनोखा सिलसिला रह जाएगा
अपने गीतों को सियासत की जुबां से दूर रख
पँखुरी के वक्ष में काँटा गड़ा रह जाएगा
मैं भी दरिया हूँ मगर सागर मेरी मन्ज़िल नहीं
मैं भी सागर हो गया तो मेरा क्या रह जाएगा
कल बिखर जाऊँगा हरसू, मैं भी शबनम की तरह
किरणें चुन लेंगी मुझे, जग खोजता रह जाएगा
[6]
अभी तो इस बाज की असली
उड़ान बाकी है
अभी तो इस परिंदे का
इम्तिहान बाकी है
अभी अभी मैंने लांघा है
समुंदरों को
अभी तो पूरा आसमान बाकि
[7]
बचपन
बचपन बिखरा पन्नों में,
और बिखर गयीं हर यादें मेरी..
मुड़कर देखा आँगन में तो,
नम हो गयीं आँखे मेरी ।
चिकने पत्थर ले बैठे..
जान मेरे उस आँगन की,
मिट्टी की सोंधी खुशबू जिसमें…
गिरती बूंदे सावन की
उस आँगन में फूल भरे..
गुलदान ठाठ से रहते थे,
नदियों के उफ़ान में गिरकर..
घाट..रात से कहते थे…
बचपन हैं स्नेह भरा,
खिलते फूल के कोंपल सा,
आकाश में उड़ती कोयल सा,
या मोर पंख कोई कोमल सा…
कभी कभी बुरा वक्त
आपको कुछ अच्छे लोगों
से
मिलवाने के लिए भी आता है
खुदा हमको ऐसी खुदाई
ना दे कि अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे
-बशीर बद्र
जीवन सौन्दर्य से भरपूर है।
इसे देखें, महसूस करें, इसे पूरी तरह से
जीएं, और अपने सपनों की पूर्ति के लिए
पूरी कोशिश करें।
short Hindi poems on life
रोज़ मिलते है इस शहर में कितनो से हम
ये दिल ही तेरे बाद किसी से ना मिल सका
कमलेश यादव
खुदा हमको ऐसी खुदाई
ना दे कि अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे
-बशीर बद्र
एक बचपन का जमाना था,
जिस में खुशियों का खजाना था..
चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दिवाना था..
खबर ना थी कछ सुबह की.
ना शाम का ठिकाना था.
थक कर आना स्कूल से.
पर खेलने भी जाना था.
दम की कहानी थी,
परीयों का फसाना था..
बारीश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सहाना था.
हारना तब आवश्यक हो जाता है
जब लड़ाई “अपनों” से हो
और जीतना तब आवश्यक हो जाता है
जब लड़ाई “अपने आप * से हो !!
मंजिले मिले , ये तो मुकद्दर की बात है
हम कोशिश ही न करे ये तो गलत बात है
किसी ने बर्फ से पूछा कि,
आप इतने ठंडे क्यूँ हो ?
बर्फ ने बड अच्छा जवाब दिया
मेरा अतीत भी पानी;
मेरा भविष्य भी पानी…”
फिर गरमी किस बात पे रखूं
खूबसूरत नज़र आती हैं ये दुनिया हमारी निगाहों को
जब जिवगी का ब्रम्हा-ल्रम्हा होता हैं खुशियों से भरा
पत्र भर की भी मुस्कान अगर हम दे सके किसी को
गमों के बावतर हटा सके गर हम किसी के ऑगन से
तो इतनी खुशियाँ भ्र जाएंगी हमारे जीवन में
समेट ना पाएंगे हम कभी भी अपने आचल्र में
जिन्दा रहना है, जरुरी-इसलिए
कि मरने का हमें कोई-हक़ ही नहीं है—-
किसलिए, मरते है लोग-स्वयं ही,
कैसे मान लिया, उन सबने,
कि, मरना ही सही है————
(२) चिर-निद्रा की गोद वो,
सुख़ से सोने जो चले——–
इससे पहले सोच ले,
कल, इसी तरह,
उनका, कोई प्रिय चले——
(३) वह भी शायद सोचेगा
उनके ही जैसे——–
खुसी मिलेगी देख के,
सबको रोते और बिलखते——–
(४) कब-तक, कोई रोएगा,
किसी के बिन, कितने- दिन—-
सबके आंसू-सुखने लगते है,
जल्दि-जल्दि, निशदिन-निशदिन—–
(५) सब दिखते, फिर से मस्ती में
मरने वाला-गुम गया बस्ती में
किसी को उसकी-फिकर नहीं
क्यू, मरा वो-उसकी जिकर नहीं——
(६) यही सच है,
इसे स्वीकार करो—
मत-मरो,
जीवन से-प्यार करो,
प्यार करो—–
Do Not Forget to read Hindi Poems on Love
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